मंगलवार, 23 दिसंबर 2014

‪PVC‬ मेजर शैतान सिंह भाटी

इससे पहले इतने ठण्ड़े इलाके में हमारी सेना तैनात नहीं हुई थी । पर जब १९६२ में भारत पर चीन ने आक्रमण किया तो उसी का जवाब देने के लिए मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में ११९ सैनिको ने रेजांग ला दर्रे पर मोर्चा संभाला ।
हमारे पास द्वीतीय विश्व युद्ध में बेकार घोषित की गई राइफलें थी, जो एक बार में एक गोली छोड़ती थी । महज ३००-४०० राउण्ड़ गोलियाँ और लगभग १००० हथगोले थे ।
वहीं चीनी सेना के २००० अनुभवी सैनिक, ऑटोमेटिक राइफले और आधुनिक हथियार ।
भारत सरकार ने तो अपनी असमर्थता जताते हुए मेजर को अपने कदम पीछे खिंचने को कह दिया था पर मेजर ने ऐसा नहीं किया उस समय शायद उनके दिल में यहीं पंक्तियाँ होगी -

"वतन की आबरू का पास देखें कौन करता है
सुना है आज मक़तल में हमारा इम्तिहाँ होगा "



भारत के एक-एक सैनिक ने दस-दस, बीस-बीस चीनी सैनिको को मारा । हमारे ११४ सैनिको ने शहादत दे दी और चीन के १८०० सैनिको को मार गिराया । ज़िंदा बचे २०० चीनी सैनिक भारतीय सैनिको के सम्मान स्वरूप अपनी रायफलें उल्टी गाड़ कर उस पर अपनी टोपियाँ रख गए ।
मेजर द्वारा जिन्दा बचे सैनिको को संदेश वाहक के रूप में सरकार के पास भेजा गया जिन्होने सरकार को इस पुरे घटनाक्रम की जानकारी दी ।
युद्ध के तीन महीनों बाद उनके परिजनों के आग्रह और बर्फ पिघलने के बाद सेना के जवान रेडक्रोस सोसायटी के साथ उनके शव की तलाश में जुटे और गडरियों की सुचना पर जब उस चट्टान के पास पहुंचे तब भी मेजर शैतान सिंह की लाश अपनी एल.एम.जी गन के साथ पोजीशन लिये वैसे ही मिली जैसे मरने के बाद भी वे दुश्मन के दांत खट्टे करने को तैनात है।
मेजर के शव के साथ ही उनकी टुकड़ी के शहीद हुए ११४ सैनिकों के शव भी अपने अपने हाथों में बंदूक व हथगोले लिये पड़े थे, लग रहा था जैसे अब भी वे उठकर दुश्मन से लोहा लेने को तैयार है।

और जैसे हर शहीद के मूँह से बस यही पंक्तियाँ निकल रहीं हों -
"यदि देश हित मरना पड़े मुझ को सहस्त्रों बार भी ।
तो भी न मैं इस कष्ट को निज ध्यान में लाउं कभी ।।
हे ईष भारतवर्ष में शत बार मेरा जन्म हो ।
कारण सदा ही मृत्यु का देशोपकारक कर्म हो ।।"

जय हिन्द
जय भारत

"मेरा वतन यूं ही आबाद रहे, मेरे लहु की आखिरी बूंद तक ।"