मंगलवार, 27 मई 2014

वीर सावरकर

वीर सावरकर

स्वातंत्र्यवीर सावरकर के नाम से प्रसिद्ध विनायक दामोदर सावरकर एक निर्भीक स्वाधीनता सेनानी, समाज सुधारक, लेखक, नाटककार, कवि, इतिहासकार, राजनेता और दार्शनिक थे। दशकों तक उनके विरुद्ध चले द्वेषपूर्ण प्रचार के कारण उत्पन्न गलतफहमी के चलते वे एक बड़े वर्ग के लिये प्रायः अपरिचित रहे। उनके जीवन, विचार तथा कार्य की प्रासंगिकता को जानिए..

वीर सावरकर – एक अपूर्व व्यक्तित्व

  • प्रथम राजनेता, जिन्होंने साहसपूर्वक पूर्ण राजनैतिक स्वतंत्रता को भारत का लक्ष्य बताया (1900)
  • प्रथम राजनेता, जिन्होंने विदेशी वस्त्रों की होली जलायी (7 जुलाई 1905, पुणे)
  • प्रथम भारतीय, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्वतंत्रता के लिये क्रांतिकारी आन्दोलन प्रारंभ किया (1906)
  • प्रथम भारतीय विधि छात्र, जिसे ब्रिटिश राज से भारत की स्वतंत्रता पाने संबंधी गतिविधियों के कारण परीक्षा उत्तीर्ण करने तथा अन्य आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के उपरान्त भी इंग्लिश बार में नहीं आमंत्रित किया गया/स्थान नहीं दिया गया (1909) / प्रथम छात्र जिनकी बैरिस्टर की उपाधि राजनिष्ठा की शपथ लेने से इनकार करने के कारण रोक ली गयी
  • एकमात्र भारतीय नेता, जिनकी लंदन में गिरफ्तारी ने ब्रिटिश न्यायालय के समक्ष वैधानिक समस्या उत्पन्न कर दी । यह प्रकरण फ्यूजिटिव ऑफेंडर्स एक्ट तथा हैबियस कॉर्पस की समुचित व्याख्या हेतु लंबित है।
  • प्रथम भारतीय इतिहासकार, जिनकी पुस्तक “1857 का स्वातंत्र्य समर” को प्रकाशन से पूर्व ही ब्रिटिश उच्चाधिकारियों द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था। आधिकारिक प्रतिबंध के छः माह पूर्व ही गवर्नर जनरल ने पोस्टमास्टर जनरल को पुस्तक की प्रतियां जब्त करने को कहा। (1909)
  • प्रथम राजनैतिक बंदी, जिनकी साहसिक फरारी तथा फ्रांस की भूमि पर पुनः गिरफ्तारी के कारण हेग के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मुकदमा चलाया गया। इस प्रकरण का उल्लेख तत्कालीन अनेक अंतरराष्ट्रीय संधियों में किया गया।
  • प्रथम स्नातक, जिसकी उपाधि भारत की स्वतंत्रता हेतु प्रयत्न के कारण भारतीय़ विश्वविद्यालय द्वारा वापस ले ली गयी। (1911)
  • प्रथम साहित्यकार, जिन्होंने लेखनी और कागज से वंचित होने पर भी, अंदमान जेल की दीवारों पर कीलों, कांटों और यहां तक कि नाखूनों से भी, विपुल साहित्य का सृजन किया और दस हजार से अधिक पंक्तियों को वर्षों तक कंठस्थ रखा और अपने सहबंदियों को भी कंठस्थ कराकर उनके द्वारा देशवासियों तक पहुंचाया  
  • प्रथम क्रांतिकारी नेता, जिन्होंने सुदूर रत्नागिरि जिले में नजरबंदी के दौरान दस वर्ष से भी कम समय में अस्पृश्यता को समाप्तप्रायः कर दिया।
  •  प्रथम भारतीय नेता, जिन्होंने सफलतापूर्वक प्रारंभ किया -
    • गणेशोत्सव, पूर्व अस्पृश्यों सहित सभी हिन्दुओं के लिये (1930)
    • सहभोज समारोह, पूर्व अस्पृश्यों सहित सभी हिन्दुओं के लिये (1931)
    • पतितपावन मंदिर, पूर्व अस्पृश्यों सहित सभी हिंदुओं के लिये (22 फरवरी 1931)
    • जलपानगृह, पूर्व अस्पृश्यों सहित सभी हिन्दुओं के लिये (1 मई 1933)
  • विश्व के प्रथम राजनैतिक बंदी, जिन्हें दो जन्मों का कारावास एवं निर्वासन का दण्ड मिला, समूचे ब्रिटिश साम्राज्य में यह अद्वितीय घटना है।
  • प्रथम राजनेता, जिन्होंने योग की उच्चतम स्थिति प्राप्त कर आत्मसमर्पण द्वारा प्राणोत्सर्ग किया।

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