शनिवार, 21 सितंबर 2013

मैं हिन्दु हूँ बस हिन्दु ही


मैं ॐकार की प्रखर ध्वनि
मैं कानन का दावानल हूँ ।

मैं रणचण्डी, रणभेदी मैं
रण का मैं रणवीर बना ।

मैंने रक्त बीज का रक्त पीया
मैंने गीता संदेश दिया ।

मैं हिन्दु हूँ बस हिन्दु ही
मैं सृजनकारी मैं प्रलयंकर ।।

मैं ऋषि पुत्र, शास्त्रो का साथी
मैंने दानव संहार किया ।

मैं वेद दुत, योगी, विज्ञानी
जग अलख जगाता आया हूँ ।

मैं हिन्दु हूँ बस हिन्दु ही
मैं सृजनकारी मैं प्रलयंकर ।।

पढ़ लेना मेरा इतिहास अमर
क्षण भर भी हो संदेह अगर,

इन्द्रप्रस्थ से दिल्ली तक
शीश चढाते आया हूँ ।

मैं हिन्दु हूँ बस हिन्दु ही
मैं सृजनकारी मैं प्रलयंकर ।।


( अहिंसा परमो धर्मः धर्महिंसा तथैव च: ) 

सूर्य प्रताप सिंह शक्तावत

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