मैं हिन्दु हूँ बस हिन्दु ही
मैं कानन का दावानल हूँ ।
मैं रणचण्डी, रणभेदी मैं
रण का मैं रणवीर बना ।
मैंने रक्त बीज का रक्त पीया
मैंने गीता संदेश दिया ।
मैं हिन्दु हूँ बस हिन्दु ही
मैं सृजनकारी मैं प्रलयंकर ।।
मैं ऋषि पुत्र, शास्त्रो का साथी
मैंने दानव संहार किया ।
मैं वेद दुत, योगी, विज्ञानी
जग अलख जगाता आया हूँ ।
मैं हिन्दु हूँ बस हिन्दु ही
मैं सृजनकारी मैं प्रलयंकर ।।
पढ़ लेना मेरा इतिहास अमर
क्षण भर भी हो संदेह अगर,
इन्द्रप्रस्थ से दिल्ली तक
शीश चढाते आया हूँ ।
मैं हिन्दु हूँ बस हिन्दु ही
मैं सृजनकारी मैं प्रलयंकर ।।
( अहिंसा परमो धर्मः धर्महिंसा तथैव च: )
सूर्य प्रताप सिंह शक्तावत
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