बुधवार, 13 नवंबर 2013

आसाराम बापु एक संत या स्वयंभू संत

प्रश्न उठता है कि क्या ४० साल से धर्म और आधात्म का प्रचार कर रहा व्यक्ति स्वयंभू संत हो सकता है ? क्या वो सब गुनाह कर सकता है जिसके आरोप उन पर लग रहे हैं ?

सबसे पहले हम आसाराम बापु के जीवन को जानते है

आसाराम बापु का जन्म नवाब जिले के बेराणी गाँव में हुआ था जो वर्तमान पाकिस्तान में है। देश विभाजन के बाद बापु भारत आ गए। माता महंगीबा की धर्म और आध्यात्म की शिक्षा आसाराम बापु को ईश्वर प्राप्ती के लिए तरसाने लगी, ईश्वर प्राप्ती के लिए वो कई जगह भटके अंततः लीलाशाह जी के सानिध्य में उन्हे आत्मसाक्षात्कार हुआ।

तब से लेकर आज तक वो हिन्दु धर्म का प्रचार और संरक्षण कर रहे हैं, अगर ऐसा ना होता तो आज उनके फोलोअर करोड़ो की संख्या में ना होते। आज बापु के कारण ही करोड़ो लोग देश विदेश में ‘वेलेंटाइन डे’ की जगह 14 फरवरी को ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मना रहे हैं ।



आसाराम बापु की संपत्ति - आसाराम बापु की अपनी कोई निजी संपत्ति नहीं है.  लगभग 425 आश्रम है जो संबंधित समितियों द्वारा संचालित होते हैं,  1400 से अधिक समितियाँ है जो आश्रम, आयुर्वेद, गुरूकुल और प्रकाशन का कार्य देखती हैं, 17000+ बाल संस्कार केन्द्र बापु के फोलोअर अपने घरो में चलाते हैं जिसमें बच्चो को धर्म और कर्म शिक्षा दी जाती है, हज़ारो गौ शालाएँ हैं।

आरोप - उत्तर प्रदेश की लड़की, जो मध्य प्रदेश में पढ़ रही थी, जोधपुर (राजस्थान) में उसके साथ छेड़खानी हुई ऐसी एफआईआर दर्ज कराती है, कहाँ जाकर? दिल्ली के भीतर कमला मार्केट थाने में पहुँचकर! वह भी 5 दिन बाद रात 2-45 बजे!
लड़की की एफआईआर में स्पष्ट या अस्पष्ट रूप से कहीं भी किसी भी तरह से दुष्कर्म (रेप) का उल्लेख नहीं है। लेकिन प्रसार-माध्यमों का सहारा लेकर ‘रेप हुआ है’ व ‘मेडिकल टेस्ट में रेप की पुष्टि हुई है’ ऐसी झूठी खबरें फैलायी गयीं।
लड़की की मेडिकल जाँच रिपोर्ट में रेप की बात को पूरी तरह खारिज कर दिया गया है एवं इसके बावजूद रेप की गैर-जमानती धारा 376 लगायी गयी, जो पूज्य बापूजी को बदनाम करने की सोची-समझी साजिश है। इस बात के लिए राजस्थान पुलिस ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगायी तथा जोधपुर पुलिस डीसीपी अजय पाल लाम्बा ने स्पष्ट रूप से स्वीकार भी किया कि दिल्ली पुलिस ने केस गलत तरीके से दर्ज किया है।

ये केस कमजोर पड़ता देख और दो महिलाओं को लाया गया जिन्होने मामला २००२-२००४ का बताया है,ऐसा है तो फिर एफआईआर १०-११ साल बाद क्यों दर्ज की गयी ? और वह भी ६ अक्टूबर को, जिस दिन ‘बापूजी का आत्मसाक्षात्कार दिवस’ उनके देश-विदेश के करोड़ों भक्तों द्वारा विशेष पर्व के रूप में मनाया जाता है, इसी दिन क्यों ?
फिर तो वो लोग भी उठ कर आने लगे जिन्हे किसी ना किसी वजह से आश्रम से निकाला गया और जेल भी जाकर आएं हों ।

पीडोफिलिया  बिमारी -
पीडोफिलिया’ की बात केवल वकील के दिमाग व समझ की महज एक उपज थी, उसमें कोई भी तथ्य नहीं था । उनकी बात की पुष्टि के लिए उनके पास कोई ठोस सबूत (मेडिकल रिपोर्ट) नहीं था ।
दूसरा,  न्यायालय के द्वारा नियुक्त बोर्ड के द्वारा बापूजी की मेडिकल जाँच की गयी तब उसी बोर्ड के द्वारा दी गयी रिपोर्ट के अनुसार पूज्य बापू मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ हैं ।
वास्तविकता यह होते हुए भी कुछ मीडिया ने खबर फैलायी कि ‘सरकारी वकील ने कोर्ट में बापू की मेडिकल रिपोर्ट पेश की, जिसके मुताबिक वे पीडोफिलिया नाम की बीमारी से ग्रस्त हैं।’


आसाराम बापु ही क्यों ?

सिर्फ आसाराम बापु ही नहीं शकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती, नित्यानंद स्वामी, बाबा रामदेव, रामरहीम सिंह जी, साध्वी प्रज्ञा,कृपालुजी महाराज और ऐसे ही कई संतो पर आरोप लगे उनका मिड़िया द्वारा बहुत कुप्रचार किया गया सभी निर्दोष साबित हुए परन्तु किसी ने भी ये न्यूज़ नहीं दिखाई ।

आसाराम बापु को निशाने पर लेने की निम्न प्रमुख वजह हैं -
1.आसाराम बापु इसाई धर्म प्रचारको के लिए एक चुनौती बन चुके हैं। आसाराम बापु ने अपने प्रभाव से इसाई प्रचारको को भी हिन्दु धर्म प्रचारक बना दिया। मिशनरियों के निशाने पर हमेशा पिछड़े इलाके होते हैं, जहाँ के मासूम आदिवासी, बन्जारा जाति- जनजाती को वो बहला फुसला कर और अनेक प्रलोभनो द्वारा इसाई बना देते हैं परन्तु आसाराम बापु ने सत्संग और दान द्वारा उनका अपनत्व हासिल कर लिया और उनका धर्मांतरण तो रोका ही साथ ही साथ धर्मांतरण कर चुके हिंदुओ को भी  फिर से धर्म में वापिस ले आए।

 एक ईसाई मिशनरी का धर्म प्रचारक जिसने हिन्दु धर्म स्वीकार किया-

2.शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती की गिरफ्तारी के विरोध में पुरे संत समाज के साथ आसाराम बापु भ्रष्ट सत्ताधारियों के विरूद्ध खड़े हो गये। भाजपा भी समर्थन में उतरी। बापु जंतर - मंतर पर जा बैठे तब कांग्रेस के लिए वो परेशानी बन गए। तब उन पर कार्यवाही करना संभव ना था, फिर षड़यंत्र रचा गया 


3.आसाराम बापु को  "धर्म रक्षा मंच" का अध्यक्ष चुना गया। धर्म रक्षा मंच अर्थात भारत के संतो का ऐसा संगठन जिसने एकजुट होकर हिन्दु धर्म की रक्षा का संकल्प लिया।
बापु को फसाने की यह भी वजह रहा कि अगर प्रतिनिधी को ही खत्म कर दिया जाए तो संगठन तो स्वतः ही समाप्त हो जाएगा ।

                                 


4. आसाराम बापु हमेशा ही अपने सत्संग में पाश्यात संस्कृति से दुर रहने की शिक्षा देते हैं। स्वदेशी का संकल्प साधको को दिलवाते हैं। शराब, सिगरेट और अन्य गंदगी से करोड़ो फोलोअर को दुर रखते हैं। बापु न्व वैलेंटाइन डे को माता - पिता की पुजन का दिन बना दिया ।
किस प्रकार होता है विदेशी कंपनियों का नुकसान - सूरेश चव्हाणके (सूदर्शन न्यूज़ प्रधान संपादक)

                            

लोगो ने संतो के लिए एक मापदण्ड बना लिया है जिसके तहत न संत विवाहित होना चाहिए, ना वाहनो का प्रयोग करता है, अपनी इच्छा के अनुसार ना खुश हो ना दुःखी ।

पर शायद वो लोग शायद तुलसीदास, वाल्मिकी को भूल गए जो विवाहित थे। 
वो शायद ये भूल गए कि पृथ्वी कोई छोटी से जगह नहीं जहाँ पैदल चलकर हर दुरी तय की जा सके । आसाराम बापु के सत्संग भारत के अलग अलग कोनो में होते हैं जहाँ पहुँचने के लिए वाहनो के उपयोग के अतिरिक्त कोई मार्ग नहीं है ।
और लोग नरहरिदास और नामदेव को भी भूल गए जो नाचते - कुदते हरि नाम गाया करते थे।
कुछ लोगो का कहना है कि आसाराम बापु चमत्कारी संत है तो बाहर क्यो नहीं आ जाते जवाब के लिए ये २००४ का विड़ियो देखे -

                            

कुछ चैनल तथा ब्लॉगरो ने आसाराम बापु को बदनाम करने के लिए एक गंदी तस्वीर (स्वामी विराटो) का उपयोग किया, उसे में यहाँ ड़ालना उचित नहीं समझता अतः इस लिंक पर जाकर पुरा सच जानें -  http://oshoworld.ru/forum/viewtopic.php?t=4172

मिड़िया की भूमिका पर उठे सवाल

मिड़िया के द्वारा देश के महत्वपुर्ण मुद्दो को छोड़कर केवल आसाराम बापु को बताना उसे कठघरे में खड़ा करता है जिसने देश के हर व्यक्ति के मन में एक सवाल खड़ा किया है ।
मीड़िया के इस अतिरेक पर कई मीड़िया चैनल पर बहस हुई -

                               


आसाराम बापु पर अवैध आश्रम होने का आरोप लगाने वाले सरकारी मकानो की धांधली में बुरी तरह फसे हुए हैं। दिल्ली में सरकारी आवासो पर कब्जे को लेकर सूप्रिम कोर्ट इन्हे फटकार लगा चुका है। मध्य प्रदेश में २१० पत्रकारो का सरकारी बंगलो पर अवैध कब्जा है, लखनऊ में ५३ पत्रकारो को राज्य संपत्ति विभान ने सरकारी मकान खाली करने का नोटिस जारी किया है, देश के हर बड़े शहर में इनका यही हाल है ।

भारतीय मिड़िया को सिर्फ परेशानी हिन्दु धर्म से है क्योकि मौलवी और पादरी इन्हे नज़र नहीं आते। इन्हे गोवा में मूर्तियो पर मूतते इसाई नज़र नहीं आते, इन्हे हिन्दुओ को खत्म कर देने की धमकी देने वाला अकबर ओवेसी नज़र नहीं आता। इन्हे नज़र आता है प्रवीण तोगड़िया, इन्हे नज़र आता है आर.एस.एस.।

मिड़िया आज खबरे नहीं दिखाता वो दिखाता है रियालिटी शो, अब तक आसाराम बापु को लेकर ३०० घण्टे से अधिक की कवरेज दिखाया जा चुका है। टी.आर.पी. के लिए ये किसी भी हद तक जा सकते हैं आसाराम बापु के आश्रम में कंकाल होने का दावा करने वाले विनोद गुप्ता उर्फ भोलानंद ने भी ऐसा ही खुलासा किया है उसका कहना है एक राष्ट्रिय न्यूज़ चैनल के संपादक तथा रिपोर्टर ने उसे उकसाकर टीवी कार्यक्रम के दौरान बच्चे दफन होने का बयान देने के लिए कहा था। लिकं 


मिड़िया किस प्रकार ड़ालती है आपके मन- मस्तिष्क पर प्रभाव
   
           

भारत में ३९८ न्यूज़ चैनल है जिनमें खुद को आगे रखने की हौड़ लगी रहती है। मिड़िया चैनल को मिलने वाला ७०% पैसा विदेशी संस्थाओं से आता है इसलिए इनसे भारत हितैषी कार्यो की आशा नहीं की जा सकती।
सनी लियोन, शर्लिन चोपड़ा, पूनम पाण्ड़े जैसी व्यभिचारिणी स्त्रियों की नग्नता दिखाकर पैसा कमाने वाली मिड़िया संतो को बदनाम करने के लिए बिक जाए संभव है ।

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