शनिवार, 23 नवंबर 2013

हिन्दु शब्द की उत्पत्ति

अक्सर लोग ये कहते दिखाई देते हैं कि हिन्दु नाम तो मुस्लिम शासको का दिया है या हम तो आर्य है हिन्दु शब्द से भी हमारा उतना ही बैर है जितना इस्लाम से ।

पर ये बात बहुत दुःखद है, हम अज्ञानता वश अपनी ही हानि कर रहे हैं । ना हमने वेदो को खोजा और ना ही अपने इतिहास को, फिर स्वयं ही परिहास का पात्र बनना कहाँ तक उचित है ?

ये नाम हमें ना अरबियों का दिया है ना पश्चिम से आए लोगो ने ।
ये हमें हमारे अपने ग्रंथो ने, ऋषियों ने और हमारे ईश्वर ने दिया है..





ऋग्वेद के ही ब्रहस्पति अग्यम में हिन्दू शब्द इस प्रकार आया है -

हिमालयं समारभ्य यावत इन्दुसरोवरं ।
तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थानं प्रचक्षते ।।

( अर्थात….हिमालय से इंदु सरोवर तक देव निर्मित देश को हिन्दुस्थान कहते हैं )


सिर्फ वेद ही नहीं, बल्कि मेरुतंत्र ( शैव ग्रन्थ ) में हिन्दू शब्द का उल्लेख इस प्रकार किया गया है -

‘हीनं च दूष्यत्येव हिन्दुरित्युच्च ते प्रिये’

( अर्थात… जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते हैं )


इतना ही नहीं लगभग यही मंत्र यही शब्द कल्पद्रुम में भी दोहराया गया है -

'हीनं दूषयति इति हिन्दू'

( अर्थात… जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते हैं )

पारिजात हरण में “हिन्दू” को कुछ इस प्रकार कहा गया है -

हिनस्ति तपसा पापां दैहिकां दुष्टम ।
हेतिभिः शत्रुवर्गं च स हिंदुरभिधियते ।।

माधव दिग्विजय में हिन्दू शब्द इस प्रकार उल्लेखित है -

ओंकारमंत्रमूलाढ्य पुनर्जन्म दृढाशयः ।
गोभक्तो भारतगुरू र्हिन्दुर्हिंसनदूषकः ॥

( अर्थात … वो जो ओमकार को ईश्वरीय ध्वनि माने कर्मो पर विश्वास करे, गौ पालक रहे तथा बुराइयों को दूर रखे वो हिन्दू है )


हमारे ऋग्वेद (८:२:४१) में ‘विवहिंदु’ नाम केराजा का वर्णन है, जिसने 46000 गाएँ दान में दी थी विवहिंदु बहुत पराक्रमी और दानीराजा था और, ऋग वेद मंडल 8 में भी उसका वर्णन है ।

इसके अतिरिक्त

१० वीं शताब्दी के महाकवि वेन - अटल नगर अजमेर,अटल हिंदव अस्थानं । 
महाकवि चन्द्र बरदाई - जब हिंदू दल जोर छुए छूती मेरे धार भ्रम




सिर्फ इतना ही नहीं, हमारे धार्मिक ग्रंथों के अलावा भी अनेक जगह पर हिन्दू शब्द उल्लेखित है-

पारसी समाज के एक अत्यन्त प्राचीन ग्रन्थ में लिखा है कि -

"अक्नुम बिरह्मने व्यास नाम आज हिंद आमद बस दाना कि काल चुना नस्त"। 

अर्थात व्यास नमक एक ब्र्हामन हिंद से आया जिसके बराबर कोई अक्लमंद नही था। 

(656 -661 ) इस्लाम के चतुर्थ खलीफ़ा अली बिन अबी तालिब लिखते हैं कि वह भूमि जहां पुस्तकें सर्वप्रथम लिखी गईं, और जहां से विवेक तथा ज्ञान की‌ नदियां प्रवाहित हुईं, वह भूमि हिन्दुस्तान है। ( स्रोत : ‘हिन्दू मुस्लिम कल्चरल अवार्ड ‘- सैयद मोहमुद. बाम्बे 1949.)


नौवीं सदी के मुस्लिम इतिहासकार अल जहीज़ लिखते हैं “हिन्दू ज्योतिष शास्त्र में, गणित, औषधि विज्ञान, तथा विभिन्न विज्ञानों में श्रेष्ठ हैं। मूर्ति कला, चित्रकला और वास्तुकला का उऩ्होंने पूर्णता तक विकास किया है। उनके पास कविताओं, दर्शन, साहित्य और नीति विज्ञान के संग्रह हैं।

भारत से हमने कलीलाह वा दिम्नाह नामक पुस्तक प्राप्त की है। इन लोगों में निर्णायक शक्ति है, ये बहादुर हैं। उनमें शुचिता, एवं शुद्धता के सद्गुण हैं। मनन वहीं से शुरु हुआ है।


इस्लाम के पैगेम्बर मोहम्मद से भी १७०० वर्ष पुर्व लबि बिन अख्ताब बिना तुर्फा नाम के एक कवि अरब में पैदा हुए। उन्होंने अपने एक ग्रन्थ में लिखा है - 

"अया मुबार्केल अरज यू शैये नोहा मिलन हिन्दे। 
व अरादाक्ल्लाह मन्योंज्जेल जिकर्तुं॥ 

(अर्थात हे हिंद कि पुन्य भूमि! तू धन्य है,क्योंकि ईश्वर ने अपने ज्ञान के लिए तुझे चुना है।) 

इस तरह हम देखते हैं कि इस्लाम के जन्म से हजारों-लाखों साल पूर्व से हिन्दू शब्द प्रचलन में था और हिन्दू तथा हिन्दुस्थान शब्द पूरी दुनिया में आदर सूचक एवं सम्मानीय शब्द था  ।

साथ ही इन प्रमाणों से और ऐसे ही हज़ारो-हज़ार प्रमाणो बिल्कुल ही स्पष्ट है कि हिन्दू शब्द ना सिर्फ हमारे प्राचीन ग्रंथों में उल्लेखित है बल्कि हिन्दू धर्म और संस्कृति के हर क्षेत्र में व्याप्त था । साथ ही हमारे पूर्वज काफी बहादुर थे और उनमे निर्णायक शक्ति अद्वितीय थी जिस कारण विधर्मियों के मन में हिन्दू और हमारे हिंदुस्तान के नाम से ही भय उत्पन्न हो जाता था जिस कारण उन्होंने इस तरह की अफवाहें उड़ाई ।


2 टिप्‍पणियां:

  1. ऋगवेद (८.२.४१)- मन्त्र में पद है 'विभिन्दो', जिसका अर्थ होता है दुष्टों को विदीर्ण करने वाला ईश्वर । इसमें हिन्दू कहाँ से आ गया ? अगर हिन्दू कहलाने में गर्व है, तो शौक से कहो, किसने रोका है, मगर वेदों के अशुद्ध सन्दर्भ देकर बेवकूफ तो मत बनाओ । अगर किसी का नाम 'घूरे' है और उसे इस नाम से कोई दिक्कत नहीं है, तो पड़ोसियों के पेट में दर्द क्यों उठने लगा । वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि वेदों में किसी राजा रानी के किस्से नहीं हैं ।

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